Tuesday, January 13, 2009

रति और मनोज की नई-नई शादी हुई। कुछ दिनों बाद यह नवयुगल अपने दो दोस्तों जीतेंद्र और अनुज के साथ कहीं घूमने गया। बात-बात में दोनों ने मनोज की गर्लफ्रेंड अनुष्का का जिक्र किया तो मनोज ने हँसी-हँसी में उसकी बात टाल दी और आँखों के इशारे से उन्हें इस बारे में और बात करने को मना किया।

सभी पार्टी मनाकर घर लौट आए। रति के मन में अनुष्का नाम बार-बार उठ रहा था और मनोज से इस बारे में जानने का विचार कर रही थी लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रही थी। एक दिन दोनों जब अपनी-अपनी पुरानी बातें एक-दूसरे से शेयर कर रहे थे तो मूड देखकर रति ने अनुष्का के बारे में मनोज से पूछ ‍ही लिया।

मनोज ने कहा कि अनुष्का हम तीनों के साथ कॉलेज में हमारी ही कक्षा में पढ़ती थी तो फिर उस दिन मनोज और अनुज उसे आपकी गर्लफ्रेंड क्यों बता रहे थे? रति ने पूछा। अरे वो तो यूँ ही बोला करते हैं, कहकर बात टाल दी।

लेकिन रति के दिमाग से बात अभी गई नहीं थी और उसने ठान लिया था ‍कि इस बारे में पूरी बात जानकर ही रहेगी। धीरे-धीरे उकेरने पर मनोज ने रति को बताया कि वह अनुष्का के साथ कभी-कभी अकेले और कभी-कभी अनुज और जीतेंद्र के साथ भी चले जाया करता था।



WD WD

मनोज तो इन बातों को हल्के ले रहा था लेकिन रति को कहीं न कहीं आँख में किरकिरी बनकर चुभ रही थीं। क्योंकि वह जिस रति को आधुनिक जमाने की समझ रहा था वह पुराने ख्यालातों की वह नारी थी जोकि अपना प्यार किसी से बाँटना नहीं चाहती।

अपने पति के कामों में माँ का हस्तक्षेप भी उसे अखरता था। वह यह भूल जाती कि आखिर उसका पति उस माँ का ही तो बेटा है। मनोज किसी लड़की के बारे में मजाक में भी कुछ बात करता तो रति उसे गंभीरता से लेती। और समय निकलने के साथ-साथ मन ही मन उस पर शक करने लगी थी।

इस बीच एक दिन मनोज ने रति को बता दिया कि अनुष्का और वो एक-दूसरे को चाहते थे लेकिन मम्मी-पापा की अनुमति न मिलने के कारण दोनों ने शादी के बारे में नहीं सोचा। फिर क्या था रति के तो मानो पैरों तले जमीन खिसक गई।



आज मनोज को अपने पिताजी की बात याद कर पश्चताप हो रहा था कि क्यों वो शादी के पहले उसके प्रेमपत्र और लड़कियों द्वारा दिए गए गिफ्‍ट या तो छुपाते जाते थे या फिर उन्हें अनुपयोगी बताकर फेंक देते थे ताकि यह दिन न देखना पड़े।



जरा-जरा सी बात को रति सीधे अनुष्का से जोड़ने लगी कि अब तो तुमको मेरी हर बात में नुस्ख ही दिखेंगे क्योंकि तुम्हारी असली चाहत तो कोई और ही थी। मेरे से तो मजबूरी में तुम्हें शादी करनी पड़ी है।

उनकी छोटी-छोटी सी बात से शुरू होने वाली तू-तू मैं-मैं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी और आज बात पा‍रिवारिक अदालत तक चली गई जहाँ दोनों ने तलाक के लिए अर्जी दे रखी है।

आज मनोज को अपने पिताजी की बात याद कर पश्चताप हो रहा था कि क्यों वो शादी के पहले उसके प्रेमपत्र और लड़कियों द्वारा दिए गए गिफ्‍ट या तो छुपाते जाते थे या फिर उन्हें अनुपयोगी बताकर फेंक देते थे ताकि यह दिन न देखना पड़े।

दोस्तो हो सकता है जो बात आपको बहुत अच्छी लग रही हो वह आपको और आपके जीवनसाथी को चुभ रही हो इस बात का भान आपको समय निकलने पर ही पता चलता है। जबकि मनोज ने रति को ‍भी दिल से चाहा और उसे कभी किसी तरह की कमी महसूस नहीं होने दी और अपना सच्चा हसमसफर होने के नाते रति से सारी बातें साफ-साफ बता दीं। क्योंकि यदि यही बातें उसे किसी दिन दूसरे से पता चलतीं तो उसे और ज्यादा दुख होता। कहावत है ना अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

1 comment: