Tuesday, April 13, 2010

प्यार से प्यारा यार , भाग-३

हर लड़का समय-समय पर इस बात के संकेत अवश्य देता है कि वह अपने स्वतंत्र जीवन को छोड़ने के लिए तैयार है या नहीं? मसलन, आप उसे अपनी सहेली की शादी में शिरकत करने के लिए आमंत्रित करती हैं, लेकिन वह कोई न कोई बहाना बनाकर उस शादी में शामिल नहीं होता। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि अभी वह स्वयं शादी के लिए तैयार नहीं है। उसकी इच्छा को जानने के और भी तरीके हैं।
जब वह शुरू-शुरू में डेटिंग कर रहा था तो आपकी आदतों से उसे कोई समस्या नहीं थी। लेकिन जब से आपने शादी का संकेत दिया है तब से वह आप में खामियाँ निकालने लगा है। इसका भी सीधा अर्थ यह है कि वह अभी शादी करने के मूड में नहीं है। डेटिंग के दौरान वह अपना अधिकतर खाली समय आपके साथ गुजारना पसंद करता था लेकिन जब से आपने शादी का जिक्र छेड़ा है तब से वह अपने दोस्तों के साथ अधिक समय गुजारना पसंद करता है।
डेट की रातों को दोस्तों की महफिलों में तब्दील करने का मतलब यह है कि वह आपको बतलाना चाह रहा है कि अब आप उसकी वरीयता सूची पर नहीं हैं और वह आपसे शादी नहीं करना चाहता।
इन सुझावों से आपको अंदाजा हो गया होगा कि आपका ब्वॉयफ्रेंड शादी करने के लिए तैयार है या नहीं? अगर वह शादीशुदा जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो उसके डर को किस तरह से निकाला जाए और आप उसे किस तरह से सहयोग करें कि आपका जीवन खुशहाल हो सके।
कम्मो -जानती हो लड़के क्या सोचते हैं ? रमेश नाम का एक लड़का अपने साथियों को टिप्स देते हुए कह रहा था -
-अगर आप भी अपनी गर्लफ्रेंड के होंठों पर मुस्कान देखना चाहते हैं तो हम बताते हैं उसके लिए कुछ टिप्स, जिससे आपकी वो खुश हो जाएँगी और उनकी खुशी से बढ़कर आपको और क्या चाहिए? तो लीजिए- उनसे कहें कि वह खूबसूरत है कभी भी उन्हें हॉट या सेक्सी न कहें। उनका हाथ कुछ सेकंड के लिए जरूर थामें। प्यार से उनके सिर को चूमें नींद से जगाने के लिए उनकी ही रिकॉर्ड आवाज को उन्हें सुनाएँ। उन्हें बराबर यह बात कहते रहें कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं।
अगर वह परेशान है तो उन्हें गले लगाकर इस बात का एहसास दिलाएँ कि वह आपके लिए कितना मायने रखती है। उनकी छोटी-छोटी बातों का भी ख्याल रखें, क्योंकि यह प्यार का बहुत जरूरी हिस्सा होता है।
कभी-कभी उनके पसंदीदा गाने भी उन्हें सुनाएँ, चाहे आपकी आवाज कितनी भी खराब क्यों न हो। उनके दोस्तों के सभी कुछ समय बिताएँ।उनके नोट्स आप तैयार कर दें। अपने परिवार के लोगों और दोस्तों से भी उन्हें मिलाएँ, इससे आपके प्रति विश्वास बढ़ेगा।
उनके बालों को प्यार से सहलाएँ, इससे उन्हें सुकून मिलेगा। कभी-कभी आप उनके साथ मस्ती भरा खेल भी खेलें, जैसे गुदगुदाना, गोद में उठाना, कुश्ती करना।पार्क लेकर घूमने जाएँ और अपने दिल की बातें कहें। हँसाने के लिए जोक्स सुनाएँ।
आधी रात को उनकी खिड़की के नीचे छोटे से पत्थर का टुकड़ा फेंकें और उन्हें बताएँ कि आप उन्हें कितना 'मिस' कर रहे हैं। सोते वक्त उनके नीचे गिरते हाथों को अपने हाथों में ले लें।
अपने नामों को पेड़ पर लिखकर घेरें। जब वह आप में पूरी तरह खो जाए तो उसे प्यार से चूमें। उन्हें कभी-कभी अपने कंधों पर उठाएँ। उनके लिए फूलों का तोहफा ले जाएँ।
अपने दोस्तों के बीच भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप अकेले में करते हैं।उनकी आँखों में देखकर मुस्कराएँ।
आपकी जो तस्वीर उन्हें पसंद हो उन्हें जरूर दें।उनके साथ डांस करें, अगर म्यूजिक न हो तो भी।बारिश में उन्हें चूमें। हमेशा अपने प्यार का इजहार करते रहें।

प्यार से प्यारा यार , भाग-१

कम्मो अकेली ही मुंबई आ गयी . दिखने में वह बेहद सुन्दर थी लेकिन उसने जान बूझकर अपना हुलिया कुछ ऐसा बिगाड़ लिया जिससे की किसी को वह ज्यादा खूबसूरत न लगे , मगर जवानी की निश्जानियों का क्या करती , उनको छिपाना तो मुश्किल था, कैसे छिपाती अपने यौवन की गोलाइयों को. जितना छिपाने की कोशिश करती वह उतनी ही ज्यादा दिखाई देती थीं, उसने किसीको बाते नहीं की वह मुंबई में अकेली है . उसे एक और लड़की मिल गयी . उसका नाम था शिल्पा . कुछ देर में ही वे दोनों अच्छी तारा से घुल मिल गयी . आखिर कम्मो ने बता ही दिया की वह सिंगल है . तपाक से शिल्पा बोली-
-क्या हुआ, जो आप सिंगल हैं और जल्दी किसी के साथ जुड़ने के लिए तैयार भी नहीं। ऎसे में कभी-कभी कुछ परेशानियां पेश आती हैं। फैसला लेना मुश्किल लगता है।अगर
आप अकेली हैं और खाने के लिए बाहर जाने का मन है, लेकिन साथ जाने के लिए कोई भी नहीं है। ऎसे में अधिकांश लोग बाहर जाने का इरादा ही त्याग देते हैं। आप ऎसा न करें। कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप अकेले ही "डाइनिंग आउट" का लुत्फ उठा सकती हैं और अकेले होने का एहसास भी नहीं सताएगा।
अपने साथ कोई अच्छी मैगजीन, बुक या न्यूज पेपर रखें। यह आपको किसी दूसरे के फोकस के एहसास से बचाएंगे और आप असहज महसूस नहीं करेंगी।
खाना ऑर्डर करने के बाद उसके आने तक का समय अच्छा संगीत सुनकर पास कर सकती हैं। अपने साथ आईपॉड रखें।
रेस्त्रां में दूसरों को खुद को घूरने से रोका नहीं जा सकता, इसलिए अपना ध्यान अपने खाने पर ही रखें और हर निवाले का आनंद लें। दूसरों की वजह से जल्दबाजी में खाना खत्म कर भागने की कोई जरूरत नहीं है। आत्मविश्वास बनाए रखें।
किसी खुशदिल और हंसोड़ दोस्त के साथ बाहर जाने से अच्छा विकल्प और क्या होगा। उसके साथ रेस्त्रां जाएं या फिर दोनों की रूचि जिसमें हो वहां यानी-शॉपिंग! एक दूसरे के मेकओवर के लिए एक दूसरे को अच्छे आईडिया दें और एक दूसरे की कमियां और अच्छाइयां बताएं।
जब तक सिंगल हैं अपनी हॉबीज को पूरा करेंं। जो भी चाहती हैं कर लें, योग करना है या फिर अपनी पसंद के नॉवल पढ़ने हैं। ऎसे कामों की लिस्ट बना लें और समय तय करें।
यही समय है जब आप अपने करिअर पर ध्यान दे सकते हैं। अपने सारे प्रयास इस ओर लगा दें। करिअर अचीवमेंट्स आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होंगे। इसके बाद जब भी आप डेटिंग शुरू करेंगे तो यही कॉन्फिडेंस आपकी रिलेशनशिप में भी मददगार साबित होगा।
कम्मो-इतना बड़ा भाषण ? थकती नहीं हो तुम ?
शिल्पा- हा हा हा . पहले ये बताओ की कम्प्यूटर जानती हो ? अगर हाँ तो ब्लॉग्स आपको दूसरों से संपर्क को मजबूत बनाते हैं। अपना ब्लॉग बनाएं और खुद से जुड़ी हर चीज का अनुभव दूसरों से शेयर करें चाहे वह टे्रवल, ब्यूटी, सेलिब्रिटी या केवल गॉसिप ही क्यों न हो। आपके जैसे लोग आपसे जुड़ते जाएंगे। दोस्तों का ग्रुप बनाएं और हर तरह के मुद्दों पर बातचीत करें। दूसरों के सतत संपर्क में बने रहने का यही बेहतर तरीका है।
खुद को जानने का सबसे अच्छा तरीका है ट्रेवलिंग। अपनी आजादी को अच्छे से एंजॉय करें। ट्रिप का इंतजाम करने से लेकर हर चीज खुद मैनेज करें। ऎसी जगह जाएं, जहां आपकी जाने की तमन्ना रही हो। इसके अलावा वीकेंड पर भी बाहर जाने के बारे में सोचा जा सकता है।और फिर मैं यानी तुम्हारे दोस्त शिल्पा तो तुम्हारे साथ मौजूद है ही .

Tuesday, January 13, 2009

प्यार से प्यारा यार , भाग-२

कम्मो ने शिल्पा को अपने होटल के कमरे में खाने पर आमंत्रित किया , दोनों समय पास करने के लिए कहानियाँ सुनाने लगीं , कम्मो ने उसे अपने कमरे पर ही रोक लिया , तब अनुभव सुनाये हुए शिल्प बोली-
-ठीक है सुनो, राहुल और संगीता के बीच पिछले तीन बरस से डेटिंग का सिलसिला ठीक-ठाक बल्कि यूँ कहिए बहुत अच्छा चल रहा था। अचानक राहुल कुछ फासला रखने लगा। संगीता को उसकी यह हरकत समझ में नहीं आई। वह सोचने लगी कि आखिर उससे क्या गलती हो गई?
दरअसल, अन्य लड़कियों की तरह संगीता को भी नहीं मालूम था कि वाई-क्रोमोसोम प्राणी बहुत अजीब होते हैं। वे सिंगल स्टेटस को खोने से बहुत डरते हैं। संगीता ने शादी का जिक्र किया था और तभी से राहुल में बदलाव आने लगा था।
शादी लड़कियों के लिए तो एक मील का पत्थर होता है जबकि लड़कों के लिए यह स्वतंत्र जीवन को खोना होता है और इसलिए यह तालमेल बिठाना उनके लिए कठिन होता है। बहरहाल, अगर संगीता इस बात को समझ जाए कि पुरुषों का दिमाग किस तरह से कार्य करता है, तो वह इस कठिन राह से आसानी से गुजर जाएगी औरराहुल हमेशा के लिए उसका हो जाएगा।
कम्मो- वाव , तब क्या हुआ ?
शिल्पा- डेट की रातों को दोस्तों की महफिलों में तब्दील करने का मतलब यह है कि वह आपको बतलाना चाह रहा है कि अब आप उसकी वरीयता सूची पर नहीं हैं और वह आपसे शादी नहीं करना चाहता।
बातचीत के दौरान सर्वनाम का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर जब मुद्दा संबंध का हो। लड़कियाँ जब 'मैं' की जगह 'हम' का प्रयोग करने लगती हैं तो लड़कों को लगने लगता है कि उनकी आजादी और कुँवारेपन के दिन खत्म होने जा रहे हैं। इस 'हम' से लड़के इस वजह से भी डरते हैं कि उन्हें लगता है कि लड़कियाँ अब उनके जीवन को नियंत्रित करने जा रही हैं।
इस समस्या से बचने का बेहतर तरीका यह है कि अपनी गुफ्तगू में आप 'हम' का इस्तेमाल बहुत सावधानीपूर्वक करें। मसलन, यह कहने की जगह 'इस संडे हम क्या कर रहे हैं?' यह कहें 'मैं सोच रही थी इस संडे अगर हम फिल्म देखने चले जाएँ, तो अच्छा रहेगा, तुम्हारा क्या ख्याल है?' इस तरह सर्वनाम का प्रयोग करने से आप यह नहीं दर्शातीं कि आप उसके जीवन को नियंत्रण में करना चाह रही हैं।
विश्वास दिलाएँ कि आप दो नहीं एक कैम्प पर यकीन करती हैं
शादीशुदा जीवन में प्रवेश करने से लड़के इसलिए भी डरते हैं कि उनके परिवार के सदस्यों से आने वाली बहू का रवैया न जाने किस किस्म का हो? इसलिए इस संदर्भ में भी लड़के को विश्वास दिलाना आवश्यक होता है। खासकर इसलिए भी क्योंकि लड़का ऐसी स्थिति में नहीं होना चाहता जहाँ उसे परिवार या आप में से किसी एक की तरफदारी करनी पड़े।
यही बात उसके दोस्तों के संदर्भ में भी लागू होती है। यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि एक लड़के के जीवन में उसके दोस्त और उसकी गर्लफ्रेंड दो महत्वपूर्ण कैम्प होते हैं। उसे ऐसा मजबूर न किया जाए कि वह एक कैम्प का होकर रह जाए। कहने का अर्थ यह है कि दोनों कैम्पों में तालमेल बिठाने की आवश्यकता है।
आजकल यह फैशन नहीं रहा है कि प्रपोज सिर्फ लड़का ही करे। लड़की भी प्रपोज कर सकती है। लेकिन प्रपोज जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। अचानक या बिना सोचे-समझे या हालात को साजगार बनाए प्रपोज करने से लड़का असमंजस में पड़ सकता है। इसलिए प्रपोज करने से पहले स्थिति को टटोलकर देख लेना चाहिए।
मसलन, बातों-बातों में आप उससे यह जिक्र करें कि किस तरह आपकी सहेली और उसके ब्वॉयफ्रेंड ने जीवनभर साथ रहना तय किया है। इस पर उसकी प्रतिक्रिया को गौर से देखें। उसकी प्रतिक्रिया से आपको यह अंदाजा हो जाएगा कि वह स्वयं शादी के लिए तैयार है या नहीं।
अगर आप भी अपनी गर्लफ्रेंड के होंठों पर मुस्कान देखना चाहते हैं तो हम बताते हैं उसके लिए कुछ टिप्स, जिससे आपकी वो खुश हो जाएँगी और उनकी खुशी से बढ़कर आपको और क्या चाहिए? तो लीजिए- उनसे कहें कि वह खूबसूरत है कभी भी उन्हें हॉट या सेक्सी न कहें। उनका हाथ कुछ सेकंड के लिए जरूर थामें। प्यार से उनके सिर को चूमें नींद से जगाने के लिए उनकी ही रिकॉर्ड आवाज को उन्हें सुनाएँ। उन्हें बराबर यह बात कहते रहें कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं।
अगर वह परेशान है तो उन्हें गले लगाकर इस बात का एहसास दिलाएँ कि वह आपके लिए कितना मायने रखती है। उनकी छोटी-छोटी बातों का भी ख्याल रखें, क्योंकि यह प्यार का बहुत जरूरी हिस्सा होता है।
कभी-कभी उनके पसंदीदा गाने भी उन्हें सुनाएँ, चाहे आपकी आवाज कितनी भी खराब क्यों न हो। उनके दोस्तों के सभी कुछ समय बिताएँ।उनके नोट्स आप तैयार कर दें। अपने परिवार के लोगों और दोस्तों से भी उन्हें मिलाएँ, इससे आपके प्रति विश्वास बढ़ेगा।
उनके बालों को प्यार से सहलाएँ, इससे उन्हें सुकून मिलेगा। कभी-कभी आप उनके साथ मस्ती भरा खेल भी खेलें, जैसे गुदगुदाना, गोद में उठाना, कुश्ती करना।पार्क लेकर घूमने जाएँ और अपने दिल की बातें कहें। हँसाने के लिए जोक्स सुनाएँ।
आधी रात को उनकी खिड़की के नीचे छोटे से पत्थर का टुकड़ा फेंकें और उन्हें बताएँ कि आप उन्हें कितना 'मिस' कर रहे हैं। सोते वक्त उनके नीचे गिरते हाथों को अपने हाथों में ले लें।
अपने नामों को पेड़ पर लिखकर घेरें। जब वह आप में पूरी तरह खो जाए तो उसे प्यार से चूमें। उन्हें कभी-कभी अपने कंधों पर उठाएँ। उनके लिए फूलों का तोहफा ले जाएँ।
अपने दोस्तों के बीच भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप अकेले में करते हैं।उनकी आँखों में देखकर मुस्कराएँ।
आपकी जो तस्वीर उन्हें पसंद हो उन्हें जरूर दें।उनके साथ डांस करें, अगर म्यूजिक न हो तो भी।बारिश में उन्हें चूमें। हमेशा अपने प्यार का इजहार करते रहें।
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मानते आ रहे हैं कि प्यार या शादी एक बंधन है। प्यारा-सा बंधन। अजीब बात है कि बंधन भी प्यारा-सा होता है अर्थात हथकड़ी भी प्यारी-सी होती है। अरे नहीं साहब, ये वो बंधन नहीं, ये जरा अलग किस्म का बंधन होता है।

अच्‍छा तो अब बंधन भी अलग-अलग किस्म के होने लगे हैं। सब बेवकूफ बनाने के काम हैं। हथकड़ियाँ चाहे हाथों में लगी हों या पल्लू में, हथकड़ियाँ चाहे लोहे की हों या सोने की, कंगन जैसी हों या गले में मंगलसूत्र जैसी या न मालूम कैसी-कैसी। खुद लगा ली हो हथकड़ियाँ या किसी के प्यार में पड़कर उसी से कहा कि लगा दो हथकड़ियाँ...प्लीज।

प्रेमी की भावना होती है कि तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं, पर किसी गैर को चाहोगी तो मुश्किल होगी। अबे मजनूँ मियाँ जब वो तुमको ही नहीं चाहती तो टेंशन काहे को लेते हों। प्यार और चाह में फर्क करना सीखो। प्यार स्वतंत्रता का पक्षधर है और चाहत तुम्हारे दिमागी दिवालिएपन की सूचना। जरा प्यार करके तो देखो। थोड़ा-सा प्यार हुआ नहीं कि अधिकार जताने लग जाते हो। जैसे बस अब ये मेरी है। मेरी के लिए जीना भी तो सीखो, मरने की झूठी कसमें मत खाओ।

आमतौर पर पुरुष का चित्त खानाबदोश होता है। घर बनाना या बसाना तो स्त्री ने सिखाया है वरना यूँ ही जिंदगी मारी-मारी फिरती थी। तब समझो इस मनोविज्ञान को कि प्रेमिका की भावना क्या होती होगी। प्रेमिका हर चीज में स्थायित्व ढूँढती है। प्रेमी की हर हरकत पर वह नजर रखती है कि कहीं बदल न जाए सनम।



इसीलिए तोड़ दो वे सारे बंधन जिसमें प्रेम नहीं। निश्चत तौर पर ऐसा कहना बहुत आसान है लेकिन ऐसी सोच सभी की हो जाएगी तो 99 प्रतिशत संबंध टूट जाएँगे।



आजकल की लड़कियाँ सोच-समझकर प्रेम करने लगी हैं। पहले तो बगैर सोचे-समझे प्रेम हो जाता था। आँख मिली नहीं ‍कि प्रेम हुआ, पहले का माहौल भी साफ-सुथरा और विश्वास योग्य था, आजकल जिसने बगैर सोचे भरोसा किया तो समझे लॉटरी जैसा काम है खुल गई तो लाख की वरना जिंदगी खाक तो है ही।

अब सवाल यह उठता है कि प्रेम या विवाह क्या बंधन है? ओशो मानते हैं कि यदि प्रेम नहीं है तो फिर बंधन ही होगा, क्योंकि आपस में प्रेम होना अर्थात स्वतंत्रता और आनंद का होना है किंतु यदि झूठ-मूठ का प्रेम है दिखावे का प्रेम है तो फिर वह प्रेम कैसे हो सकता है, महज आकर्षण, चाहत या समझौता। और यह ज्यादा समय तक नहीं चलता, बहुत जल्द धराशायी हो जाता है। यदि धराशायी नहीं होगा तो जिंदगी एक घुटन के सिवाय कुछ नहीं।

इसीलिए तोड़ दो वे सारे बंधन जिसमें प्रेम नहीं। निश्चत तौर पर ऐसा कहना बहुत आसान है लेकिन ऐसी सोच सभी की हो जाएगी तो 99 प्रतिशत संबंध टूट जाएँगे। ओशो कहते हैं कि सांसारिक प्रेम में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं- इसे समझें और ‍इसमें जिएँ। प्रेमिका या पत्नी से कुछ समय के लिए दूरी बनाओ, फिर नजदीक आओ और फिर ‍दूरी बनाओ। यह मिलना और बिछड़ना ही प्रेम को रिजनरेट और रिफ्रेश करके रखेगा।
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कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा प्यार है। यह बाँटने से और बढ़ता है तथा अपनी भीनी-भीनी महक को प्रकृति में चारों ओर बिखेर देता है। यूँ तो प्यार के प्रेम, इश्क, लव रोमांस, चाहत, मोहब्बत जैसे कई प्यारे नाम हैं पर प्यार की खूबसूरती पर इन नामों का कोई असर नहीं होता है। लोग बदल जाते हैं, पर प्यार कभी नहीं बदलता है। यह तो ऐसा संक्रामक रोग है जो देखने से भी फैलता है और कभी भी, कहीं भी, किसी को भी हो सकता है।

कुछ लोग कहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, बस हो जाता है। पर प्यार देखकर, समझकर तो किया ही जा सकता है। प्यार क्या है, किससे करें, कब करें ऐसे कई अनसुलझे सवाल हैं कि अगर जानबूझकर इन्हें नजरअंदाज किया जाए तो अंत में निराशा तथा दिल के टूटने की आहट ही सुनाई देती है। कई बार जिएँगे तो साथ-मरेंगे तो साथ ऐसी कसमें खाकर उसे निभाने के वादे तो लोग कर लेते हैं लेकिन प्रेम में परवान चढ़ते-चढ़ते जब जिंदगी की हकीकत से सामना होता है तो सारे सपने उनके कदमों तले टूटकर बिखर जाते हैं और कुछ दिनों का इश्क जीवनभर के अश्क बन जाता है।

यह स्थिति स्वाभाविक भी है क्योंकि जब कोई किसी से सच्चा प्रेम करता है एवं केवल सामने वाले के रूप-रंग से आकर्षित नहीं होता बल्कि उसकी सीख से प्रेम करता है तो वह कभी भी यह जानने की कोशिश नहीं करता है कि वह जिसके इश्क में गिरफ्तार है, वह उसके प्रति क्या सोचता/सोचती है। वह वफादार है या नहीं। उसकी आने वाले भविष्य में क्या योजनाएँ एवं संभावनाएँ हैं। इसी का परिणाम होता है- मोहब्बत में बेवफाई। हालाँकि सभी के साथ ऐसा नहीं होता है कि इश्क में ठोकरें ही मिलें, पर कोई जानबूझकर कुएँ में क्यों कूदे।

कई आशिकों की गाड़ी जब प्यार के प्लेटफार्म से गुजरकर शादी के स्टेशन पर रुकती है तो बिना टिकट के यात्री की तरह इनकी सचाई भी सामने आने लगती है। ऐसे में समझदार माँ-पिता केवल प्यार के नाम पर ही बेटे-बेटी की शादी उस लड़के-लड़की से करने को तैयार नहीं होते हैं जो केवल प्यार का दम भरता है। ऐसे मामलों में अगर कभी शादी हो भी जाए तो लोग कुछ दिनों तक तो मदद करते हैं, फिर तो दोस्त भी कन्नी काट लेते हैं।



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ऐसे में विवाह भी नाकामयाब हो जाता है और छोटी-सी गलती नासूर बनकर जीवनभर दर्द का अनुभव कराती है। कहने का अर्थ यह है कि जिस प्रकार पैसा कमाने के लिए शिक्षा, अनुभव एवं सीखना आवश्यक है, उसी प्रकार प्रेम को जीवन पर्यन्त सुंदर बनाए रखने के लिए भी यह जरूरी है कि हम इसके बारे में देख लें, परख लें एवं धोखा खाने से संभवतः बचने का प्रयास करें।

यूँ तो प्यार में चोट देने वाला, पहचान के बाद भी चोट दे सकता है। पर फिर भी थोड़ी खोजबीन जरूरी है। आपने देखा भी होगा कि कोई आपको प्यार तो बहुत करता है पर कह नहीं पाता या फिर हमेशा ही जताता रहता है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी आप बड़ी उलझनों में भी घिर जाते हैं। इन समस्याओं से बचने और अपने प्यार को परखने के लिए कुछ सामान्य से उपाय करके देखिए-

* अगर सामने वाला चाहता है और आपके लिए कुछ भी करने को तैयार है परंतु इस बात को अहसान बताकर याद दिलाता रहता है तो समझ लेना चाहिए कि वह आपसे प्यार नहीं करता है और आपको अपने अहसानों तले दबाकर रखना चाहता है।



अगर आपको पसंद करने वाला आपकी सभी बातों का समर्थन करे। चाहे गलत हो या सही, तो मानना चाहिए कि सामने वाला आपको पाने के मकसद से ही आपकी गलतियों को छिपा रहा है। ऐसा वह किसी और स्थिति में भी कर सकता है।



* यदि आपका प्रेमी/प्रेमिका आपके सामने ही आपके दोस्त या सहेलियों को मोहने की कोशिश कर रहे हों तो आगे क्या होगा। यह जरूर सोचें। अगर आगे भी वह ऐसा ही व्यवहार रखता है तो वह इनसान प्रेमी तो क्या दोस्त भी नहीं बनाया जा सकता है।

* प्यार में उपहारों का बड़ा गहरा रिश्ता है। यदि कोई आपको ऐसा तोहफा दे जो आपके बहुत काम का हो, तो यह समझना होगा कि वह आपका ख्याल रखता है एवं स्वयं से अधिक आपकी भावनाओं के बारे में सोचता है। ऐसा व्यक्ति आपके लिए बेहतर साथी सिद्ध हो सकता है।

* अगर आपको पसंद करने वाला आपकी सभी बातों का समर्थन करे, चाहे गलत हो या सही, तो मानना चाहिए कि सामने वाला आपको पाने के मकसद से ही आपकी गलतियों को छिपा रहा है। ऐसा वह किसी और स्थिति में भी कर सकता है।

* यदि प्रेमी/प्रेमिका आपकी उन मामलों में भी मदद करे, जो उसकी सीमा के बाहर है तो यह मानना चाहिए कि आपको बहुत चाहता है और सदा काम करने के लिए आगे रहता है।

* अगर कभी प्यार करने वाला आपका जन्मदिन ही भूल जाए या अन्य जरूरी मौकों पर सहयोग न करे और प्यार का दम भरे तो समझ लीजिए कि वह आपके बारे में कम और खुद की रक्षा करने के बारे में अधिक सोचता है।

* यदि कोई लम्बे समय तक आपसे मिलता रहे, प्यार जताता रहे परंतु शादी की बात बिना किसी बड़े कारण के टालता रहे तो निश्चित ही वह आपसे शादी नहीं करना चाहता है। केवल टाइमपास बना रखा है। ऐसे में तत्काल निर्णय लेना चाहिए।

* शादी से पहले ही अगर साथी का व्यवहार एवं माँगें अनुचित हों तथा तरह-तरह के प्रलोभन देकर वह केवल अपनी बात ही मनवाना चाहे तो स्वयं फैसला कीजिए कि ऐसा साथी जीवन के सफर में आप से कितनी वफा निभा सकेगा।

* यदि आपको चाहने वाला आपके अलावा आपके पूरे परिवार को भी उचित मान-सम्मान देता है तथा परिवार में सदस्य की तरह ही व्यवहार करे तो मान लीजिए कि ऐसे व्यक्ति से आप शादी कर सकते हैं।

* शादी से पहले लड़के/लड़की के परिवार संबंधी एवं कामकाज के बारे में भी खोज कर लें। प्रेमी यदि बेरोजगार है तो सोच-समझकर ही प्यार को आगे बढ़ाएँ अन्यथा स्पष्ट बात कर लें।

कुल मिलाकर इन बिंदुओं के आधार पर आप कम से कम यह निष्कर्ष तो निकाल ही सकते हैं कि जिससे आप प्यार कर रहे हैं वह आपके साथ कहाँ तक चल पाएगा। यकीन मानिए इनको अपनाकर अगर आपने अपने दिल को टूटने से बचा लिया तो कभी भविष्य में यह नहीं सुनना पड़ेगा कि

'मुहब्बत है, जरा सोच समझकर रोना,
एक आँसू भी टूटा, तो सुनाई देगा।'

इसलिए प्यार में बेवफाई करने और सहने से अच्छा है कि जब प्यार हो तो प्यार को कसौटी पर घिसकर परख भी लें।
प्यार एक विलक्षण अनुभूति है। सारे संसार में इसकी खूबसूरती और मधुरता की मिसालें दी जाती हैं। इस सुकोमल भाव पर सदियों से बहुत कुछ लिखा, पढ़ा और सुना जाता रहा है। बावजूद इसके इसे समझने में भूल होती रही है। मनोवैज्ञानिकों ने इस मीठे अहसास की भी गंभीर विवेचना कर डाली। फिर भी मानव मन ने इस शब्द की आड़ में छला जाना जारी रखा है।

महान विचारक लेमेन्नाइस के अनुसार - 'जो सचमुच प्रेम करता है उस मनुष्य का ह्रदय धरती पर साक्षात स्वर्ग है। ईश्वर उस मनुष्य में बसता है क्योंकि ईश्वर प्रेम है।'

उधर दार्शनिक लूथर के विचार हैं कि 'प्रेम ईश्वर की प्रतिमा है और निष्प्राण प्रतिमा नहीं, बल्कि दैवीय प्रकृति का जीवंत सार, जिससे कल्याण के गुण छलकते रहते हैं।'

प्रेम वास्तव में सिर्फ और सिर्फ देने की उदार भावना का नाम है इसमें आदान की अपेक्षा नहीं रहती। दो व्यक्तियों के बीच जब यह बेहद कोमल रिश्ता अंकुरित होता है तब एक साथ बहुत कुछ घटित होता है। सारा वजूद एक महकता उपवन हो जाता है। रोम-रोम से सुगंध प्रस्फुटित होने लगती है। प्रेम, जिसमें खुशियों का उच्च शिखर भी मुस्कराता है और वेदना की अतल गहराई में भीगी खामोशी भी व्यक्त होती है।



ND ND

सच्चा और मासूम प्रेम बस प्रिय की समीपता का अभिलाषी होता है। उसे एकटक निहारने की भोली इच्छा से आगे शायद ही कुछ सोच पाता है। ज्यादा से ज्यादा अपने प्रिय पात्र से छोटी-छोटी सुकुमार अभिव्यक्तियाँ बाँटने की मंशा भर होती है। प्रेमियों के लिए एक-दूसरे का साथ अत्यंत मूल्यवान होता है। उसे पाने के लिए वे सदैव प्रयासरत रहते हैं।


प्यार करने वाले व्यक्ति में अपने प्रिय को सुख पहुँचाने और उसे संरक्षण देने का आवेग सबसे प्रबल होता है। वह वो सबकुछ करने को तत्पर रहता है जो उसके साथी को हर्षित कर सकता है। प्यार की गहराई इस हद तक भी होती है कि चोट एक को लगे तो दर्द दूसरे को हो। या उदास एक हो तो आँसू दूसरे की आँखों से छलक जाए। इस प्रकार की प्रगाढ़ अनुभूतियाँ प्रेम के लक्षणों में गिनी जाती हैं। प्यार जैसी नर्म नाजुक भावना की अभिव्यक्ति कई रूपों में होती है।

बड़ी-बड़ी त्यागमयी उदारताओं से लेकर छोटे-छोटे उपहारों तक। इन अभिव्यक्तियों का मूल्य इस बात पर निर्भर नहीं करता कि जो कुछ किया जा रहा है वह कितना महान है। बल्कि उन भावनाओं पर निर्भर करता है जो इन अभिव्यक्तियों से संप्रेषित होती है। अकसर बहुत छोटे-छोटे प्यारभरे उपहारों का महत्व तब बढ़ जाता है जब वे अपने भीतर बड़े गहरे अर्थ को समेटे हुए होते हैं।


एक प्रेमी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता जब उसे प्रेम के बदले प्रेम मिलता है। मनोविज्ञान कहता है किसी अत्यंत प्रिय पात्र द्वारा स्नेहपूर्वक स्वीकार किए जाने पर संतोष की शीतल अनुभूति होती है। मनोवैज्ञानिक वेंकर्ट का मत है - 'प्यार में व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति की कामना करता है, जो एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में उसकी विशेषता को कबूल करे, स्वीकारे और समझे। उसकी यह इच्छा ही अक्सर पहले प्यार का कारण बनती है। जब ऐसा शख्स मिलता है तब उसका मन ऐसी भावनात्मक संपदा से समृद्ध हो जाता है जिसका उसे पहले कभी अहसास भी नहीं हुआ था।'


मनोवैज्ञानिकों ने स्वस्थ और अस्वस्थ प्रेम को बहुत सूक्ष्मता से परिभाषित करने की कोशिश की है। उनके अनुसार जब किसी व्यक्ति का प्रेम सहजता से प्रकट ना होकर अपनी किसी विकृति, कमी या निजी समस्या से पलायन के साधन के रूप में व्यक्त होता है तो समझना चाहिए कि वहाँ एक अस्वस्थ स्थिति विद्यमान है।


उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी व्यक्ति में गहरी हीन भावना है जो खुद उसे भी प्रत्यक्ष रूप में नहीं पता। ऐसा व्यक्ति जब प्रेम में पड़ता है तब वह सामने वाले के माध्यम से अपनी उस कमी को मिटाने का पुरजोर प्रयास करता है। वास्तव में वह अपने प्रेमी या प्रेमिका का उपयोग अपनी उस कुसमंजित या कहें कि कन्फ्यूजिंग स्थिति से निपटने के लिए करता है।


मनोवैज्ञानिक युंग कहते हैं -
प्रेम करने या किसी के प्रेम पात्र बनने से यदि किसी को अपनी कोई कमी से छुटकारा मिलता है तो संभवत: यह अच्छी बात होगी। लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ऐसा होगा ही। या इस तरह से उसे मुक्ति मिल ही जाएगी।




ND ND

लंबे समय तक किसी शिकायत को पालने वाला या महज कल्पना लोक में जीने वाला व्यक्ति जब एक के बाद दूसरे प्रणय संबंधों को किसी को आघात पहुँचाने वाली जीत की प्राप्ति का साधन बना लेता है तब मनोविज्ञान इसे उसकी अस्वस्थ प्रवृत्ति का लक्षण मानता है।


यह अस्वस्थ तत्व उस व्यक्ति में मौजूद होता है जो बचकाने ढंग से दूसरों पर आश्रित है। अपनी इस निर्भरता को बनाए रखने के लिए वह दूसरों को अपने प्रति प्रेमासक्त बनाने की चाल चलता है। दूसरे शब्दों में वह अपने प्रेमी पर उसी प्रकार प्रभुत्व जमाना चाहता है जैसे दूसरे उस पर शासन करते हैं।


इसी प्रकार जब एक स्त्री, स्त्रीत्व की भूमिका निभाने की अपनी क्षमता में संदेह होने के कारण एक प्रेम संबंध छोड़कर दूसरे की ओर बढ़ती है या एक पुरूष ऐसा करता है तब दोनों में अस्वस्थ तत्व दिखता है।


इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि किसी प्रेम संबंध को तभी स्वस्थ कहा जा सकता है जब वह पूर्णत: पवित्र और मानवीय दुर्बलताओं से रहित हो। ऐसी पूर्णता मानव के लिए संभव ही नहीं है। लेकिन मनोवैज्ञानिकों की इतनी तो दृढ़ मान्यता है कि वहाँ कोई अस्वस्थ मनोवृत्ति काम कर रही है जहाँ कोई व्यक्ति प्रेम की उत्तेजना के माध्यम से अपनी आंतरिक समस्याओं से मुक्ति या राहत पाना चाहता है।


मनोवैज्ञानिक हॉर्नी स्वस्थ प्रेम को संयुक्त रूप से जिम्मेदारियाँ वहन करने और साथ-साथ कार्य करने का अवसर बताते हैं। उनके अनुसार प्रेम में निष्कपटता और दिल की गहराई बहुत जरूरी है।


मैस्लो ने स्वस्थ प्रेम के जिन लक्षणों की चर्चा की है वे गंभीर और प्रभावी है। वे कहते हैं सच्चा प्यार करने वालों में ईमानदारी से पेश आने की प्रवृत्ति होती है। वे अपने को खुलकर प्रकट कर सकते हैं। वे बचाव, बहाना, छुपाना या ध्यानाकर्षण जैसे शब्दों से दूर रहते हैं। मैस्लो ने कहा है स्वस्थ प्रेम करने वाले एक-दूसरे की निजता स्वीकार करते हैं। आर्थिक या शैक्षणिक कमियों, शारीरिक या बाह्य कमियों की उन्हें चिन्ता नहीं होती जितनी व्यावहारिक गुणों की।


मनोविज्ञान प्रेम को अत्यंत ऊँचाई पर ले जाकर देखता है। उसमें मामूली सी गिरावट या फिसलन को भी बर्दाश्त नहीं करता। सुप्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम ने एक जगह लिखा है -

जिसके साथ होकर भी तुम अकेले रह सको, वही साथ करने योग्य है। जिसके साथ होकर भी तुम्हारा अकेलापन दूषित ना हो। तुम्हारी तन्हाई, तुम्हारा एकान्त शुद्ध रहे। जो अकारण तुम्हारी तन्हाई में प्रवेश ना करे। जो तुम्हारी सीमाओं का आदर करे। जो तुम्हारे एकान्त पर आक्रामक ना हो। तुम बुलाओ तो पास आए। इतना ही पास आए जितना तुम बुलाओ। और जब तुम अपने भीतर उतर जाओ तो तुम्हें अकेला छोड़ दे।




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सच में प्यार तभी तक प्यार है जब तक उसकी शुद्धता, संवेगात्मक गहनता और विशालता कायम है। अशुद्ध, उथला, सतही, विकृतियों से ग्रस्त और संकुचित प्यार ना सिर्फ दो व्यक्तियों का क्षरणकारी है बल्कि भविष्य में दो जिन्दगियों के स्याह होने की वजह भी। क्या आप मानते हैं कि आज जब प्यार सिर्फ शारीरिक जरूरतों को पूरी करने का माध्यम बन गया है ऐसे में इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष खुलकर सामने आना चाहिए।


क्योंकि सच सिर्फ यह नहीं है कि बाहर की गंदगी हमें विनष्ट कर रही है बल्कि सच यह भी है कि हमारे अपने भीतर बहुत कुछ ऐसा पैदा हो रहा है जो हमें, हमारे अस्तित्त्व को, हमारे मूल्यों को और सभ्यता को बर्बाद कर रहा है। निश्चय ही समाधान भी कहीं और से नहीं बल्कि हमारे ही अंतरतम से आएगा अगर ईमानदार कोशिश की जाए।